नई दिल्ली:गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनर्जीवन पर 1986 से 30 जून, 2017 तक 4,800 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है। मंगलवार को सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को यह जानकारी दी।
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एनजीटी को बताया कि सरकार ने गंगा एक्शन प्लान (जीएपी) के लिए 6,788.78 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस योजना की शुरुआत 14 जनवरी, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी। इसमें 4,864.48 करोड़ रुपये इस साल 30 जून तक खर्च किए गए हैं। बिना खर्च राशि 1,924.30 करोड़ रुपये है।
पर्यावरण मंत्रालय ने जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि गंगा एक्शन प्लान (प्रथम चरण) के लिए 256.26 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे, जो बाद में बढ़कर 462.04 करोड़ रुपये हो गई। इसमें 451.70 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई, लेकिन 433.30 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए। यानी 28.74 करोड़ रुपये की राशि बच गई।
इस पर पीठ ने कहा, ‘उपरोक्त राशि के अलावा, उत्तर प्रदेश ने गंगा और उसकी सहयोगी नदियों की सफाई के लिए मार्च, 2017 तक 1827.07 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें 164.69 करोड़ रुपये की वह राशि भी शामिल है, जो सिर्फ उत्तर प्रदेश ने खर्च की है। शेष 1662.38 करोड़ रुपये की राशि केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य को दी गई है।’
एनजीटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जल निगम ने 2015-16 में हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा की सफाई के लिए 95.96 करोड़ रुपये खर्च किए, बावजूद इसके पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। पीठ में शामिल जस्टिस रहीम ने कहा, ‘2016-17 में उन्होंने 83.83 करोड़ रुपये खर्च किए।’