निगरानी समिति भी सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित
मामला केएसके पॉवर प्लांट नरियरा का
नरियरा। जांजगीर जिले के अकलतरा क्षेत्र के नरियरा में स्थापित छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े पॉवर प्लांट में सुमार केएसके पॉवर प्लांट है, वास्तविक में कहा जाए तो "नाम बड़े और दर्शन छोटे" की संज्ञा फिट बैठती है।
मामला है केएसके पॉवर प्लांट में संचालित केएसके केंटीन का जो ब्लॉक ऑफिस के पास संचालित है। यहां प्लांट के लगभग 60 से 70 प्रतिशत मजदूर, कर्मचारी, अधिकारी सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का नाश्ता एवं रात्रि का भोजन करते है। वहीं यदि कोई मजदूर या 10 कर्मचारी नाश्ते के लिए खड़े हो जाए तो आधे घंटे खड़े होना लाजमी है। बहुततायत दुनिया के किसी भी कोने में चले जाइए जहां केंटीन है वहां नाश्ते के वक्त "चाय" की व्यवस्था जरूर होती है मगर केएसके पॉवर प्लांट के इस केंटीन में आप थके हारे मजदूर एवं कर्मचारी यदि हैं तो एक कप चाय के लिए जरूर तरस जाएंगे। नाश्ते के लाइन में खड़ा होकर आप को यदि इडली या दोसा मिल भी जाए तो सांभर के लिए घंटो इंतजार करना पड़ेगा वही यदि सांभर चटनी मिल जाए तो इडली डोसा के लिए घंटो लाइन में खड़े होना पड़ेगा। नाश्ते के लिए घंटो लाइन लगाना पड़ेगा और यदि कोई व्यक्ति केंटीन मैनेजमेंट का खास पहचान का है तो वो सीधा केंटीन के किचन में घुसकर अपना काम निकाल लेता है।
गौरतलब है की केएसके पॉवर प्लांट के इस केंटीन में केंटीन मैनेजमेंट के मजदूरों के साथ भी भेदभाव होता है। कैंटीन मजदूर में किसी ईमानदार मजदूर का शोषण होता है तो वही चाटुकार मजदूर को मलाईदार कार्य पर रख भेदभाव किया जाता है। मजदूर अपनी नौकरी बचाने शिकायत करने से भी डरते है और चाय के लिए तरसते व्यक्ति वाद विवाद में ना पड़कर अपने घर से चाय लेकर आते है।
घटिया केंटीन के पर्याय बने इस केएसके केंटीन मैनेजमेंट में क्वालिटी कंट्रोल निगरानी समिति भी अपने खानापूर्ति तक ही सीमित हो गया है। निगरानी समिति के सदस्य अपनी आंखो से घटिया क्वालिटी और घटिया केंटीन मैनेजमेंट को देखकर भी मूकबधिर बने हुए है कारण है उनको समय पर सब कुछ उपलब्ध हो जाना। कुल मिलाकर नाम बड़े और दर्शन छोटे जैसी संज्ञा इनके लिए एकदम फिट बैठती है। घटिया केंटीन मैनेजमेंट के इस मामले को प्लांट बिकने पर कोई नया मैनेजमेंट आए और सुधार करे यही उम्मीद अब कर सकते हैं बाकी कोई रास्ता साफ तौर पर नही दिख रहा।